वैदिक मंत्रों की ध्वनि से गूंज उठी आचार्य द्रोण की नगरी

  • भव्य पुष्पार्चन और दिव्य अग्निहोत्रम के साथ आर्यम कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव संपन्न
  • 50 को नवदीक्षा, 72 को मंत्र दीक्षा और 137 को शक्तिपात

देहरादून। देहरादून में अवस्थित अशोक रिसोर्ट के तत्वावधान में आर्यम इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा कार्तिक पूर्णिमा के उपलक्ष्य में “श्री त्रिपुरारी कार्तिक पूर्णिमा आशीर्वाद महोत्सव महानुष्ठान” संपन्न हुआ। इस महोत्सव की रूपरेखा अग्निहोत्र, पुष्पार्चन एवं दीक्षा उत्सव से बुनी गई थी। आयोजन में देश-विदेश से 600 से अधिक श्रद्धालु इस अवसर पर उपस्थित थे। समस्त कार्यक्रम परमप्रज्ञ जगद्गुरु प्रोफेसर पुष्पेन्द्र कुमार आर्यम महाराज के सान्निध्य में संचालित हुआ।

गुरुदेव आर्यम ने समस्त ईश्वर-भक्तों को संबोधित करते हुए कार्तिक पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डाला। इस तिथि को ही देव दीपावली भी मनाई जाती है। गुरुदेव का कथन है कि इस अवसर पर भगवान विष्णु ने अपने मत्स्य अवतार में त्रिपुरासुर नामक असुर का वध किया था। यही कारण है कि उन्हें त्रिपुरारी के नाम से भी जाना जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान, दीपदान तथा भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए पुण्य, दान और पूजा कई गुना फल देते हैं तथा सभी पाप नष्ट होते हैं। इस शुभ दिवस को देवता भी स्वर्ग में दीप जलाकर मनाते हैं, इसलिए इसे “देव दीपावली” कहा जाता है। वाराणसी, अयोध्या, हरिद्वार जैसे पवित्र स्थानों में लाखों श्रद्धालु गंगा घाटों पर दीये जलाते हैं, जिससे दिव्य प्रकाश और पवित्रता का वातावरण बनता है।

आर्यम कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव सनातन धर्म के संस्कारों की पुनः पुष्टि करता है। आयोजन के मुख्य आकर्षण वैदिक मंत्रों से किया गया अग्निहोत्रम एवं पुष्पार्चन रहे। पुष्पार्चन की विधि में देवी-देवताओं के प्रत्येक मंत्र पर गुलाब, कमल और गेंदे के फूल अर्पित किए जाते हैं । गुरुदेव आर्यम के सान्निध्य में वैदिक मंत्रों से अग्निहोत्रम संपन्न हुआ। इस विशेष हवन में 200 से अधिक प्रकार की सामग्रियों की आहुति दी गई। इसी अद्वितीय ईश्वर-प्रार्थना का हिस्सा बने देश-विदेश से पधारे 600 से अधिक श्रद्धालुगण।

गुरुदेव आर्यम के विश्वभर में सर्वाधिक दीक्षित शिष्य हैं। गुरु पूर्णिमा के इतर कार्तिक पूर्णिमा पर भी आर्यम महोत्सव में दीक्षा उत्सव मनाया गया। इस उत्सव में 50 को नवदीक्षा, 72 को मंत्र-दीक्षा और 137 का शक्तिपात किया गया। गुरुदेव आर्यम का कथन है कि शिक्षा के साथ दीक्षा का भी समान महत्व है। जिन संस्कारों की हमें दीक्षा दी जाती है, वही हमारे जीवन के आधार-बिंदु बनते हैं। इसी संस्कार को बढ़ाने का कार्य आर्यम जी महाराज अपने प्रकल्प “हर भवन अब हवन” के माध्यम से कर रहे हैं। इच्छुक सहभागियों ने अग्निहोत्र की विधि को गहराई से समझा। उद्देश्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति पूजा-पाठ की विधियों को आत्मसात कर सके और विशेष अवसरों पर स्वयं अपने पुरोहित बनकर यज्ञ कर ईश्वर-कृपा प्राप्त करे।

कार्तिक पूर्णिमा महोत्सव में इस वर्ष कुछ चुनिंदा हस्तियों को आर्यम गणपति सम्मान – 2025 से सम्मानित किया गया। भगवान गणपति ज्ञान, विवेक, आरंभ, सफलता, समृद्धि और विनम्रता के प्रतीक हैं। इन्हीं गुणों के आधार पर आठ विभूतियों अनिल कुमार, मनीषा बॉस, तुमुल-नेहा कक्कड़, राहुल देव, सविता-अंशुमान कपूर, मनोज त्यागी, अतुल दयाल, राजकुमार दक्ष को गणपति सम्मान से विभूषित किया गया।

ट्रस्ट की अधिशासी प्रवक्ता यामिनी श्री ने बताया कि जगद्गुरु आर्यम जी महाराज विश्वभर में इकलौते गुरु हैं जो सनातन के परचम को समाज में अपनी व्यावहारिक शिक्षाओं से प्रतिष्ठित कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि आर्यम जी महाराज की देशनाओं से आज हज़ारों लोगों का जीवन रूपांतरित हो रहा है। विश्वभर में जहाँ कहीं भी भारतीय हैं, उन्हें अपने धर्म और संस्कार पर न केवल गर्व है, बल्कि वे अब उनके जीवन की रूपरेखा को भी निर्देशित करते हैं।
इस दो दिवसीय समारोह के प्रथम दिन अग्निहोत्र का प्रशिक्षण प्रदान किया गया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में राकेश-संध्या रघुवंशी, सुनील कुमार, उत्कर्ष सिंह, हर्षिता आर्यम, श्वेता जायसवाल, अविनाश, शालिनी अरोड़ा, गौरव स्वामी, प्रीतेश, रोहित वेदवान, प्रशांत आर्य आदि का सहयोग रहा ।

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