तमिलनाडु में आपस में सहयोगी रही भाजपा और AIADMK के रास्ते अब अलग हो गए हैं। एआईएडीएमके ने सोमवार को ऐलान कर दिया कि वह एनडीए का साथी नहीं है। बीते साल से ही भाजपा और एआईएडीएमके में खटपट की खबरें सामने आ रही थीं। पार्टी का आरोप था कि भाजपा के नेता उसके नेताओं पर टिप्पणी करते रहते हैं। इस तरह से 2024 के चुनाव से पहले दक्षिण में भजपा को करारा झटका लगा है। बीते कुछ समय में भाजपा के कई पुराने सहयोगी दल एनडीए से अलग हो गए हैं।
2019 में लोकसभा के चुनाव के बाद चार साथी एनडीए से अलग हो चुके हैं। इसमें भाजपा की पुरानी सहयोगी और हिंदूवादी विचारधारा पर चलने वाली शिवसेना (UBT) शामिल है। विधानसभा चुनाव दोनों ने मिलकर लड़ा था लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद उद्धव ठाकर ने एनसीपी और कांग्रेस को साथ लेकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन बना लिया। हालांकि शिवसेना में फूट पड़ी और एकनाथ शिंदे अपने समर्थक विधायकों के साथ एनडीए में गए। महाविकास अघाड़ी की सरकार गिर गई। अब एनसीपी का एक गुट भी भाजपा के साथ आ गया है।