आईयूआई आईवीएफ से विपरीत कैसे है और सही विकल्प कैसे चुनें?

वाराणासी। अक्सर लोग यह मान लेते हैं कि आईयूआई सिर्फ IVF का आसान रूप है। लेकिन सच ये है कि दोनों बिल्कुल अलग तरह के इलाज हैं और अलग-अलग कारणों से इन्फर्टिलिटी को मैनेज करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

डॉ. दीपिका मिश्रा, फ़र्टिलिटी स्पेशलिस्ट, बिरला फ़र्टिलिटी एंड आईवीएफ, वाराणसी का कहना है कि आईयूआई एक साधारण फ़र्टिलिटी प्रोसीजर है जिसमें चुनिंदा अच्छे क्वालिटी वाले स्पर्म को सीधे महिला के यूट्रस में डाला जाता है ओव्यूलेशन के दौरान। इससे स्पर्म और एग्स के फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है। इस प्रक्रिया का सुझाव अक्सर तब दिया जाता है जब हल्की माइल्ड मेल इन्फर्टिलिटी हो, महिला का ओव्यूलेशन अनियमित हो, या सर्वाइकल एनवायरनमेंट स्पर्म को आगे बढ़ने से रोकता हो। यह उपचार आसान, बिना एनेस्थीसिया के किया जाने वाला है और इसकी सक्सेस रेट प्रति साइकल लगभग 15% से 25% तक है।

आईवीएफ में, महिला के अंडाशयों को दवाइयों से उत्तेजित किया जाता है ताकि ज़्यादा एग्स बनें। इन एग्स को फिर निकाला जाता है और लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज़ किया जाता है। बने हुए एम्ब्रियोस की जांच की जाती है और सबसे अच्छे एम्ब्रियो को यूट्रस में ट्रांसफर किया जाता है। आवश्यकता होने पर एम्ब्रियो को फ्रीज़ भी किया जा सकता है ताकि बाद में ट्रांसफर किया जा सके। आईवीएफ आम तौर पर उन मामलों में सुझाया जाता है जहाँ गंभीर मेल फैक्टर इन्फर्टिलिटी, बंद फैलोपियन ट्यूब्स, एडवांस्ड मेटरनल एज, बार-बार मिसकैरेज या कई असफल आईयूआई हो चुके हों।

इसीलिए आईयूआई को आईवीएफ का छोटा संस्करण कहना सही नहीं है। दोनों अलग-अलग तरह की समस्याओं के लिए बने ट्रीटमेंट्स हैं। इनके बीच चुनाव उम्र, एग्स की संख्या और क्वालिटी, स्पर्म की सेहत, यूट्रस की स्थिति और दंपत्ति की पूरी मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है।

एक असफल आईयूआई का मतलब ये नहीं कि दंपत्ति में खोट है। इसका अर्थ बस इतना है कि आगे और जांच या अगले स्टेप की ज़रूरत हो सकती है। असली महत्व इस बात का है कि कौन सा इलाज किस दंपत्ति के लिए सही समय पर उपयुक्त है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *